Nojoto: Largest Storytelling Platform

#टीपू_सुलतान #पेशवा_राजा #दलित_अत्याचार संघ ने त

#टीपू_सुलतान  #पेशवा_राजा #दलित_अत्याचार

संघ ने तो बता दिया कि टीपू सुल्तान ने पेशवाओ का कत्ल किया परंतु यह क्यों नहीं बताया कि सुल्तान ने कत्ल क्यों किया ?
(आइए जानते हैं सच्चाई क्या थी)

टीपू सुल्तान हिंदू विरोधी होते तो उनकी सेना में जितने मुसलमान थे उतने हिंदू न होते पेशवाओ की हत्याएं करने का जो आरोप टीपू सुल्तान पर है वह त्रावणकोर राज्य में है जहाँ का राजा एक ऐय्याश और निरंकुश राजा था और उसके जुल्मों से वहाँ की जनता से छुटकारा दिलाने के लिए टीपू ने उसपर आक्रमण किया और युद्ध में त्रावणकोर की सेना में शामिल सारे पेशवा मारे गये
त्रावणकोर राज्य में एक प्राचीन परंपरा के अनुसार नंबूदिरी, नायर और दलित नादर जैसी जातियों की औरतों को अपने शरीर का ऊपरी हिस्सा ढांकना प्रतिबंधित था नंबूदिरी औरतों को घर के भीतर ऊपरी शरीर को खुला रखना पड़ता था, वे घर से बाहर निकलते समय ही अपना सीना ढक सकती थीं लेकिन मंदिर में उन्हें ऊपरी वस्त्र खोलकर ही जाना होता था नायर औरतों को अपना वक्ष खुला रखना होता था सबसे बुरी स्थिति दलित औरतों की थी जिन्हें कहीं भी अंगवस्त्र पहनने की मनाही थी, पहनने पर उन्हें सजा भी हो जाती थी इस अपमानजनक रिवाज के अनुसार आदेश था कि महल से मंदिर तक राजा की सवारी निकले तो रास्ते पर दोनों और नीची दलित जातियों की अर्धनग्न कुंवारी महिलाएं फूल बरसाती हुई खड़ी रहें उस रास्ते के घरों के छज्जों पर भी ब्राह्मण राजा के स्वागत में औरतों को ख़ड़ा रखा जाता था इस अपमानजनक रिवाज के खिलाफ ही टीपू सुल्तान ने इसी अन्याय को समाप्त करने के लिए त्रावणकोर पर आक्रमण किया जिससे त्रावणकोर की सेना के तमाम पेशवा लोग मारे गए जिसे आज पेशवाओ के वध के रूप में बताकर टीपू सुल्तान का विरोध किया जाता हैं-
!!  मेघना पंडित  !!
#टीपू_सुलतान  #पेशवा_राजा #दलित_अत्याचार

संघ ने तो बता दिया कि टीपू सुल्तान ने पेशवाओ का कत्ल किया परंतु यह क्यों नहीं बताया कि सुल्तान ने कत्ल क्यों किया ?
(आइए जानते हैं सच्चाई क्या थी)

टीपू सुल्तान हिंदू विरोधी होते तो उनकी सेना में जितने मुसलमान थे उतने हिंदू न होते पेशवाओ की हत्याएं करने का जो आरोप टीपू सुल्तान पर है वह त्रावणकोर राज्य में है जहाँ का राजा एक ऐय्याश और निरंकुश राजा था और उसके जुल्मों से वहाँ की जनता से छुटकारा दिलाने के लिए टीपू ने उसपर आक्रमण किया और युद्ध में त्रावणकोर की सेना में शामिल सारे पेशवा मारे गये
त्रावणकोर राज्य में एक प्राचीन परंपरा के अनुसार नंबूदिरी, नायर और दलित नादर जैसी जातियों की औरतों को अपने शरीर का ऊपरी हिस्सा ढांकना प्रतिबंधित था नंबूदिरी औरतों को घर के भीतर ऊपरी शरीर को खुला रखना पड़ता था, वे घर से बाहर निकलते समय ही अपना सीना ढक सकती थीं लेकिन मंदिर में उन्हें ऊपरी वस्त्र खोलकर ही जाना होता था नायर औरतों को अपना वक्ष खुला रखना होता था सबसे बुरी स्थिति दलित औरतों की थी जिन्हें कहीं भी अंगवस्त्र पहनने की मनाही थी, पहनने पर उन्हें सजा भी हो जाती थी इस अपमानजनक रिवाज के अनुसार आदेश था कि महल से मंदिर तक राजा की सवारी निकले तो रास्ते पर दोनों और नीची दलित जातियों की अर्धनग्न कुंवारी महिलाएं फूल बरसाती हुई खड़ी रहें उस रास्ते के घरों के छज्जों पर भी ब्राह्मण राजा के स्वागत में औरतों को ख़ड़ा रखा जाता था इस अपमानजनक रिवाज के खिलाफ ही टीपू सुल्तान ने इसी अन्याय को समाप्त करने के लिए त्रावणकोर पर आक्रमण किया जिससे त्रावणकोर की सेना के तमाम पेशवा लोग मारे गए जिसे आज पेशवाओ के वध के रूप में बताकर टीपू सुल्तान का विरोध किया जाता हैं-
!!  मेघना पंडित  !!