फिर से कलयुग में आ जाओ,ओ साँवरे आके गइयाँ चरा जाओ, ओ साँवरे नफरतों से भरे कलयुगी दौर में प्रेम की धुन सुना जाओ ओ साँवरे --प्रशान्त मिश्रा "आ जाओ ओ साँवरे"