मेरी हिन्दी सिर्फ यार कहकर, अबे ओ पुकारकर, समझ लेते हैं बस कहकर, कभी मां या मां जी पुकारकर, हां भैया, सुन बहन, जी भाभी, जी सज्जन, रिश्तों की डोरियां फिरोते, अपनापन निभा लेते हैं, अंकल और आंटी जी कहकर। न छूटा है साथ, चाची, फूफी या मासी का, ना ही खटिया पकड़े, परदादी का, बापू, पिताजी, बस खड़े मिले, राह पर उंगली पकड़े। ए जी, ओ जी, सुनती हो, से मन भरता नहीं, जायज़ है दोस्तों, कह देते हैं, चाय पिला दो अम्मा, मदद करने वालों को। एसी है भाषा मेरी, रिश्तों को जोड़ती, अनायास ही ज़ुबान पर, बोलती है हिंदी मेरी।। ##हिन्दी #हिन्दीदिवस #yqdidi #yqbaba