कुछ मजहब से परेशान,
कुछ हैरान इसके सितम से
कुछ को रब से मलाल है, तो कुछ खुद से दलाल ,
ये खेल है कुछ मोहरों का, खेलते कुछ प्यादे हैं,
चंद दिल के काले, तो चंद रखवाले हैं,
किसे पता
चाल क्या है, वजीर का हश्र क्या होगा ?
बिसात बिछी है कहां ? #Politics#Raajniti#Raja#vajood#Satranj#vajir#pyaada#bisaat