ये नहीं ........कोई शराफ़त आपकी! गज़ल जान ली सबने ...हकीकत आपकी! क्यों करेंगे वो इबादत ......आपकी! दाल रोटी खा रहे थे .....किस तरह, छीन ली ये है .....हकीकत आपकी! वो खुदा सब देखता ........भूल मत, आ गई निश्चय ही शामत... आपकी! तू नशे में चूर है .............ऐ बेखबर, कुछ दिनों की है ये जन्नत ..आपकी! जिंदगी में प्यार जो......सबसे मिला, है यही असली अमानत ....आपकी! प्रेम से कोई मिला ........प्रेमी अगर, ले गया दिल की वो दौलत आपकी! ©S Talks with Shubham Kumar #MySun मुफ़लिसों पर जो हिमाकत आपकी!