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हम बुरे होने का ख़िताब रखते हैं। बहुत से मुझसा होने

हम बुरे होने का ख़िताब रखते हैं।
बहुत से मुझसा होने का ख्वाब रखते हैं।।

कह दें जिन्हें हमारी हैसियत का अंदाजा नहीं।
हम खादिम भी शाही नवाब रखते हैं।।

ये बात अलग के अदब के तकाजे ने रोक रख्खा है।
मगर हर मामले में हम हाज़िर जवाब रखते हैं।।




                  © Copyright Adnan Rabbani's Shayari • #हम बुरे होने का ख़िताब रखते हैं।

#बहुत से #मुझसा होने का #ख्वाब रखते हैं।।

कह दें #जिन्हें #हमारी #हैसियत का अंदाजा नहीं।

हम #खादिम भी #शाही नवाब रखते हैं।।
हम बुरे होने का ख़िताब रखते हैं।
बहुत से मुझसा होने का ख्वाब रखते हैं।।

कह दें जिन्हें हमारी हैसियत का अंदाजा नहीं।
हम खादिम भी शाही नवाब रखते हैं।।

ये बात अलग के अदब के तकाजे ने रोक रख्खा है।
मगर हर मामले में हम हाज़िर जवाब रखते हैं।।




                  © Copyright Adnan Rabbani's Shayari • #हम बुरे होने का ख़िताब रखते हैं।

#बहुत से #मुझसा होने का #ख्वाब रखते हैं।।

कह दें #जिन्हें #हमारी #हैसियत का अंदाजा नहीं।

हम #खादिम भी #शाही नवाब रखते हैं।।

Adnan Rabbani's Shayari • #हम बुरे होने का ख़िताब रखते हैं। #बहुत से #मुझसा होने का #ख्वाब रखते हैं।। कह दें #जिन्हें #हमारी #हैसियत का अंदाजा नहीं। हम #खादिम भी #शाही नवाब रखते हैं।।