रिश्तें और आशाएँ इस समाज ने कभी जीने ना दिया यारों, रिश्तें और आशाओं की डोर ने मरने ना दिया, आज भी लटके हैं जरूरतों और ख्वाहिशों के बीच, शायरी के शौक ने कभी डूबने भी ना दिया।। #अंंकित सारस्वत# #december17