तुम खुबसूरत बनी रहो, और वो तुम्हे चाहेंगे! तुम अपने आप को सजाती रहो, और वो तुम्हे चाहेंगे! तुम अपने - आप को निखारने कि चाह अपने अंदर बढ़ाती रहो, और वो तुम्हे चाहेंगे! तुम फिक्र करो कि तुम्हारे बाल बिखरे नहीं, तुम फिक्र करो कि तुम्हारा रंग ढले नहीं, तुम हर बार अपने-आप से और सुंदर बनने का जिक्र करो, और तुम उनके जिक्र में बनी रहोगी। तुम अपने स्तनों के आकार को कोस लो, या उनपर तारीफों के पुल बांध लो, गंदी नजर और गालियों में बरकरार रहोगी। तुम्हारे अस्तित्व के पहचान के लिए, सहानुभूति का एक दिन मिला है तुम्हे। सम्मान समझ कर, साल भर असम्मान सहती रहोगी। ©Priyanka Mazumdar #एकदिनसम्मान