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शायद कायर हूँ मैं पूरी कहानी पढ़ने के लिए

शायद कायर हूँ मैं 








पूरी कहानी पढ़ने के लिए 

अनुशीर्षक (caption ) पकड़ो जब कभी लोग मुझसे पूछते हैं , तुमने मोहब्बत की इश्क़ किया । अक्सर मेरा जवाब होता है नही । लेकिन ये नही वो जवाब है जो मुझे जवाब में मिला । हमने भी कभी जोर जबरदस्ती नही की । इश्क़ वो आग है जो लगाय न लगे और फिर बुझाए न बुझे ।सो जल कर हम सूख गए उन पेड़ो की तरह जो केवल जलाने के काम आते है।

मुझे लगता है इश्क़ में कुछ प्रकार है । जो कुछ इस प्रकार है । 

आपने देखा होगा ,जब भी हम जाते है किसी नदी के स्नान में । तो वहाँ पर मुझे तीन प्रकार के लोग देखने के मिले जैसे इश्क़ में मिलते हैं।

कुछ जो आते है ।नदी को देखते है नजर भरकर । प्रणाम करते है । देखते है उसके जल निर्मल जल को । पर स्नान नही करते । डरते है उस सहज घेरे से बाहर निकलने से । वो शीतल जल उनको डराता है और वो बस वही उसको तकते रह जाते हैं ।
शायद कायर हूँ मैं 








पूरी कहानी पढ़ने के लिए 

अनुशीर्षक (caption ) पकड़ो जब कभी लोग मुझसे पूछते हैं , तुमने मोहब्बत की इश्क़ किया । अक्सर मेरा जवाब होता है नही । लेकिन ये नही वो जवाब है जो मुझे जवाब में मिला । हमने भी कभी जोर जबरदस्ती नही की । इश्क़ वो आग है जो लगाय न लगे और फिर बुझाए न बुझे ।सो जल कर हम सूख गए उन पेड़ो की तरह जो केवल जलाने के काम आते है।

मुझे लगता है इश्क़ में कुछ प्रकार है । जो कुछ इस प्रकार है । 

आपने देखा होगा ,जब भी हम जाते है किसी नदी के स्नान में । तो वहाँ पर मुझे तीन प्रकार के लोग देखने के मिले जैसे इश्क़ में मिलते हैं।

कुछ जो आते है ।नदी को देखते है नजर भरकर । प्रणाम करते है । देखते है उसके जल निर्मल जल को । पर स्नान नही करते । डरते है उस सहज घेरे से बाहर निकलने से । वो शीतल जल उनको डराता है और वो बस वही उसको तकते रह जाते हैं ।