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चल रही हुं मैं और चलती जा रही हुं मैं हर दिन बस स

 चल रही हुं मैं और चलती जा रही हुं
मैं हर दिन बस सवरंती जा रही हुं

शांत सी चुपचाप सी मंद मंद है गति मेरी
मैं मौसम संग बदलती जा रही हुं

एक दिन तो रुकेगी बारिश इम्तिहानों की
मैं बस इसी स्वप्न में जिए जा रही हुं

©khushboo Dhiraj Dubey
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#MyThoughts 
#lonely #Poetry 
#Alone😔