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मां कोमल होती है पिता पत्थर की तरह कठोर होता है मां घर सजाती है पिता नींव का पत्थर बन मकान बनती है
मां मकान को घर बनती है
ये दोनों संसार की ऐसी कड़ी हैं जिसके आगे हर रिश्ता फीका है।
इत्तेफाक से मेरी मां का नाम भी गुलाब है