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अब भी समय हे ! मानव, ये खून-खराबा बंद करो।। प्रेम

अब भी समय हे ! मानव,
ये खून-खराबा बंद करो।। 
प्रेम, प्रीत, अनुराग, नेह का,
भू पर फिर से सृजन करो।। 
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई,
 मिलकर फिर त्यौहार सजाएँ 
होली, ईद और वैशाखी,
मिलकर सारे जश्न मनाएँ।। 
जन्नत होगी फिर भू पर,
जिसे ईश्वर ने ही बसाया है।। 

मानव-मानव मित्र बनो,
मानवता-तरु हर्षाया है।। 
मानव-मानव मित्र बनो,
मानवता-तरु हर्षाया है।। 

@poetryofsoul

©Shashank मणि Yadava "सनम"
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