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मेरी नजरें तेरी नजरों से ओझल हो जायें खाल बदन की ह

मेरी नजरें तेरी नजरों से ओझल हो जायें
खाल बदन की हल्की कोमल हो जायें
आँखो से दिखना बंद हो जाये
लब से बोलना कम हो जाये
क्या तब भी तुम ऐसे ही मुझको चाहोगी
जैसे अभी चाहती हो....
क्या तब भी तुम्हे मेरी इतनी ही जरूरत होगी..
कल शायद मै अपने पैरो पे न चल पाऊं
कल शायद हद से जादा पागल हो जाऊं
कल शायद तेरे कहने पर मिलने न आ पाऊँ
तेरे लिए आसमाँ से चाँद तारे न ला पाऊँ
क्या तब भी तुम ऐसे ही मुझको चाहोगी
मेरी नजरें तेरी नजरों से ओझल हो जायें
खाल बदन की हल्की कोमल हो जायें
आँखो से दिखना बंद हो जाये
लब से बोलना कम हो जाये
क्या तब भी तुम ऐसे ही मुझको चाहोगी
जैसे अभी चाहती हो....
क्या तब भी तुम्हे मेरी इतनी ही जरूरत होगी..
कल शायद मै अपने पैरो पे न चल पाऊं
कल शायद हद से जादा पागल हो जाऊं
कल शायद तेरे कहने पर मिलने न आ पाऊँ
तेरे लिए आसमाँ से चाँद तारे न ला पाऊँ
क्या तब भी तुम ऐसे ही मुझको चाहोगी