वो बोले ये इश्क नहीं आसां , इतना तो समझ लीजिये एक आग का दरिया है , और डूब के जाना है मैंने कहा मासूम सी मोहब्बत का बस इतना सा फ़साना है कागज की हवेली है , बारिश का ज़माना है क्या शर्त -ए -मोहब्बत है , क्या शर्त -ए -ज़माना है आवाज़ भी जख्मी है और वो गीत भी गाना है उस पार उतरने की उम्मीद बहुत कम है कश्ती भी पुरानी है , तूफ़ान भी आना है समझे या न समझे वो अंदाज़ -ए -मोहब्बत का भीगी हुई आँखों से एक शेर सुनाना है भोली सी अदा , कोई फिर इश्क की जिद पर है फिर आग का दरिया है और डूब ही जाना है #love #dard #shayri