दिसंबर, चाय और ठंड जी तो रहा हु लेकिन ज़िन्दगी झंड लग रही है। ओढ़ रखी है दो-दो कम्बल फिर भी ठंढ लग रही है।। #जी#तो#रहा#हु।।।