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इस जिस्म रूपी घोसले में एक परिंदा हूँ। मैं तो उस ख

इस जिस्म रूपी घोसले में एक परिंदा हूँ।
मैं तो उस खुले गगन का बाशिंदा हूँ।

मैंने खुद ही इस घोसले को  अपना ठिकाना मान लिया।
और खुद ही अपने परों को फड़फड़ाना छोड़ दिया।

अब सोचता हूँ , काश' कोई होता जो मेरे परों को ताकत देता।
पा जाता मैं अपनी उड़ान कोई तो राहत देता।

स्वार्थ और मोह में खुद को कैद कर लिया।
मजबूरी और लाचारी का उसे नाम दे दिया। #पंख# परिंदा# गगन
इस जिस्म रूपी घोसले में एक परिंदा हूँ।
मैं तो उस खुले गगन का बाशिंदा हूँ।

मैंने खुद ही इस घोसले को  अपना ठिकाना मान लिया।
और खुद ही अपने परों को फड़फड़ाना छोड़ दिया।

अब सोचता हूँ , काश' कोई होता जो मेरे परों को ताकत देता।
पा जाता मैं अपनी उड़ान कोई तो राहत देता।

स्वार्थ और मोह में खुद को कैद कर लिया।
मजबूरी और लाचारी का उसे नाम दे दिया। #पंख# परिंदा# गगन
avinasha8464

Avinasha

New Creator

पंख# परिंदा# गगन