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रात ढल रही हैं , ख्वाब जल रहे है, सितारे खामोश हैं

रात ढल रही हैं , ख्वाब जल रहे है,
सितारे खामोश हैं , चाँद छिप गया हैं
हवाओ के थपेड़ों से कोई टकरा कर,
जमीं पर बेसुध गिर रहा है 
उठ रहा हैं गिर रहा हैं,
खुद से कोई झगड़ रहा हैं 
चारो और सिर्फ सन्नाटा है ,
सभी घरो की बत्तियां बुझा दी गयी 
मुसाफिरों को रोक दिया हैं, 
रास्ते सारे सुनसान है 
आंखे सुख चुकी हैं ,
टकटकी लगा कर तारे गिने जा रहे हैं 
और इन सन्नाटों के आगोश में ,
एक शख्स की खामोशी बड़ी देर से चीख रही हैं 
कलाई में बंधी घड़ी की टिक टिक को रोक कर,
मैं उस खामोशी की चीखे पन्नो पर उकेर रहा हूँ 
थक कर अब सारे परिन्दे सो रहे हैं , 
रात ढल रही हैं, ख्वाब जल रहे हैं । रात ढल रही हैं ख्वाब जल रहे है
रात ढल रही हैं , ख्वाब जल रहे है,
सितारे खामोश हैं , चाँद छिप गया हैं
हवाओ के थपेड़ों से कोई टकरा कर,
जमीं पर बेसुध गिर रहा है 
उठ रहा हैं गिर रहा हैं,
खुद से कोई झगड़ रहा हैं 
चारो और सिर्फ सन्नाटा है ,
सभी घरो की बत्तियां बुझा दी गयी 
मुसाफिरों को रोक दिया हैं, 
रास्ते सारे सुनसान है 
आंखे सुख चुकी हैं ,
टकटकी लगा कर तारे गिने जा रहे हैं 
और इन सन्नाटों के आगोश में ,
एक शख्स की खामोशी बड़ी देर से चीख रही हैं 
कलाई में बंधी घड़ी की टिक टिक को रोक कर,
मैं उस खामोशी की चीखे पन्नो पर उकेर रहा हूँ 
थक कर अब सारे परिन्दे सो रहे हैं , 
रात ढल रही हैं, ख्वाब जल रहे हैं । रात ढल रही हैं ख्वाब जल रहे है

रात ढल रही हैं ख्वाब जल रहे है #कविता