दर्द की इस "आहट" को मत सुन तू अपनी इस "मुस्कराहट" को सुन तू अपने दिल की "घबराहट" को दूर कर तू अपने माथे की इस "सिलवट" को हटा तू वाणी की "बुदबुदाहट" को नरमाई कर तू सुकून से "सजावट" कर ज़िन्दगी की तू मन में कोई "फुसफुसाहट" नहीं रख यूँ तू जीना यह "मुस्कराहट" से मुकम्मल कर तू 👉🏻 प्रतियोगिता- 229 🌹ग़ज़ल प्रतियोगिता प्रत्येक गुरुवार 🌹 🙂आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"जीते हैं चल"🌹