Nojoto: Largest Storytelling Platform

तुम से थोड़ी सी दूरी सही नहीं जाती जब भी सोचता हूं

तुम से थोड़ी सी दूरी सही नहीं जाती
जब भी सोचता हूं सुंदर चहरा तुम हो सामने आती 
कैसे कहूं तुम्हारा मुकाम क्या है 
जब भी बुलाए दिल किसी अप्सरा को
तुम ही सामने आती 
आंखों में भर कर प्यार की मधुशाला तुम दर्शन दे जाती
जब भी सावन आए मोरनी बन तुम हो खिलखिलाती 
कोयल की तरह तुम सुरीला गीत हो गाती 
मनमोहनी तुम्हारी हर अदा दिल को मोहित कर जाती

©Dr  Supreet Singh
  #अप्सरा