प्रेम और सद् भाव की अन्तस् में भाषा गढ़नी होगी, परहित में कुछ काम करें ये अभिलाषा गढ़नी होगी, देख पराई पीड़ा मन में अपने दुःख का भाव जगे, मानव को मानवता की वह परिभाषा गढ़नी होगी। -देवेश द्विवेदी "देवेश" Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto