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नित्य दिवाकर आता है ,लिए निज रूप अलबेला , लग जाता

 नित्य दिवाकर आता है ,लिए निज रूप अलबेला ,
लग जाता  है धरती पर ,सुनहरी किरणों का मेला,

खिल जाते हैं पुष्प सभी ,चहुँ दिश हरियाली छाए,
यामिनी कूच कर जाती ,उठाकर  तिमिर का थैला ।।

©poonam atrey
  #सुबहकामंज़र