हम क्या थे, क्या हो गए हम क्या थे, क्या हो गए और क्या होंगे अभी, आओ इस पर विचार लें, फिर ना मौका मिले कभी । क्या किया है, क्या करेंगे और क्या कर रहे हैं हम अभी, विचार लो विचारने की, शक्ति अब है बढ़ रही । विचारने से ज्ञान के अनेक द्वार खुल रहे, विचार लो विचार कर ही, आगे बढ़ते हैं सभी । आगे बढ़ने से ही अब है, तेरी मंजिल दिख रही, समय के सही उपयोग से, मन में उम्मीदें जग रहीं । मंगल कामनाओं का मन में, सिद्ध संचार हो रहा, जीवन भी अब खुद में, एक उपहार हो रहा । विचार लो विचार कर ही, होंगे कार्य सिद्ध सभी, हम क्या थे, क्या हो गए और क्या होंगे अभी । - Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # हम क्या थे, क्या हो गए