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लोग अगर समंदर मे उतर कर नमकिन हो जाते तो हम कवि

लोग  अगर समंदर मे उतर कर नमकिन हो जाते
 तो हम कवि शब्दो से कब का गमगीन हो जाते
हँस जाते रो जाते हैं हम तो गैरो की बात मे गैरो की
चाह मे ग़ैरो की तकलीफ़ मे, 
‌रोकर भी बो जाते हैं  अपने बीज हँस कर भी गैरो के लिए फसलें काटते हैं, 
 माना रूप रंग जरूर लिखते हैं इंद्रधनुषि
पर रंग सफेद और काले को कभी नहीं छाटते हैं
‌हम कवि शब्दों के बहुत समीप होते हैं 
पर कर्मो से दूर नहीं होते
------    सलोनी कुमारी

©khubsurat #khubsuratsaloni 

#poetryunplugged 

#allalone
लोग  अगर समंदर मे उतर कर नमकिन हो जाते
 तो हम कवि शब्दो से कब का गमगीन हो जाते
हँस जाते रो जाते हैं हम तो गैरो की बात मे गैरो की
चाह मे ग़ैरो की तकलीफ़ मे, 
‌रोकर भी बो जाते हैं  अपने बीज हँस कर भी गैरो के लिए फसलें काटते हैं, 
 माना रूप रंग जरूर लिखते हैं इंद्रधनुषि
पर रंग सफेद और काले को कभी नहीं छाटते हैं
‌हम कवि शब्दों के बहुत समीप होते हैं 
पर कर्मो से दूर नहीं होते
------    सलोनी कुमारी

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