आज उस बच्चे की हँसी चली गयी। परेशान करने वाली ख़ुशी चली गई।। बोझ तो उसपे कभी रहता नही था। परेशान कोई करे कुछ कहता नही था।। शायद उसे उम्र से पहले बड़ा बना दिया। जो नही चाहिए था वो भी बता दिया।। बच्चा तो बच्चा होता है। जो कभी हस्ता है और कभी रोता है।। पर आज वो बच्चा बड़ा हो गया। छोड़ बचपन की बाकियाँ खड़ा हो गया।। आज लड़ता है वो पर खेल में नही। हारकर गिरता है समय की बेल में कहीं।। आज उसे उसकी हरकते रास नही आती। आज नादानियाँ भी उसके पास नही जाती।। वो बस ये कहना चाहता था। वो सबके साथ रहना चाहता था।। वो बच्चा था अब बच्चों से नफरत करता था। अब परेशानी भुला कर भी मज़ाक करता था।। वो कोई सपना नही पूरा करना चाहता था। वो तो सबका सपना बनना चाहता था।। लेकिन फिर भी सबकी उसके मन से रार हुई। और उसकी जीतकर भी हार हुई।। -: ज्ञानेंद्र... #childhood #vanishing...