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परछाइयों से है यारी मेरी, हर वक्त जो साथ निभाती। न

परछाइयों से है यारी मेरी,
हर वक्त जो साथ निभाती।
नही होता कोई जो साथ मेरे,
 तन्हाइयों में उसे अपनी बातें सुनाती।

कुछ ना कहती बुरा भला वह,
हर अच्छी बुरी बात बस सुनती जाती।
ना ही परखती, ना ही देती कोई मशवरा,
जैसी हूं बस वैसे ही वह अपनाती।
परछाइयों से है यारी मेरी.....

©Vasudha Uttam
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