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पंख फैला उड़ रही थी, बेखबर थी अपने आशियानें से।

पंख फैला
 उड़ रही थी,
बेखबर थी 
अपने आशियानें से।

तिनके से थे घर 
अरमानो के सजाया;
हर एक ज़र्रा उनमें
बिताने को।

क्या पता 
जाना ही होगा
अनजान आशियानें में।

माना था जिसको 
आशिया उसने,
वो कभी था ही नही
"सोन चिड़िया" का ठिकाना।


 बस यूँही😄
हिंदी कुछ खास अच्छी नही है 😜😜
🙏🙏
पंख फैला
 उड़ रही थी,
बेखबर थी 
अपने आशियानें से।

तिनके से थे घर 
अरमानो के सजाया;
हर एक ज़र्रा उनमें
बिताने को।

क्या पता 
जाना ही होगा
अनजान आशियानें में।

माना था जिसको 
आशिया उसने,
वो कभी था ही नही
"सोन चिड़िया" का ठिकाना।


 बस यूँही😄
हिंदी कुछ खास अच्छी नही है 😜😜
🙏🙏
anne3927792145509

anne

New Creator

बस यूँही😄 हिंदी कुछ खास अच्छी नही है 😜😜 🙏🙏 #Quotes