उस्ताद की शहनाई, बाबा का दरबार याद दिलाता हूं, मजहब रटने वालों को,मजहब याद दिलाता हूं धर्म के बिचौलियों को, धर्म याद दिलाता हूं, एक दूजे में बसते,भगत-अश्फाक याद कराता हूं, एक ही थाली में खाती,पगडी़ और टोपी याद दिलाता हूं, देश कि खातिर सबकुछ देने वाले, हवलदार हमीद याद दिलाता हूं स्वाधीनता की प्रखर आग,याद दिलाने आया हूं, जन-जन में फिर मैं,इंकलाब जगाने आया हूं..... #dharm #majhab #hindiquotes #google #ambrishdwivedi #instawriters #yourquotebaba #myquote