कहीं हवाओं में गुम कहीं दरिया में पानी सा बहता मन क्यूं कैद करूं मन की भावनाओं को परिंदों सा उड़ता रहता मन कल की फिक्र क्यूं करें इस पल को खुल कर जीने को कहता मन कहीं यादों के जंगल में खो जाता है कहीं शांत समंदर सा रहता मन बिता कल वापस नहीं आयेगा हर पल खुल कर जीने को कहता मन ©Nikhil Kumar #mera_mn