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ना राम सा मर्यादित में ना रावण सा कोई दंभी हूं ना

ना राम सा मर्यादित में
ना रावण सा कोई दंभी हूं
ना कृष्ण सा छलिया मैं
ना हूं अर्जुन सा पराक्रमी
ना मैं बन सकता अभिमन्यु सा
जिसे मार दिए थे तब अधर्मी
सीख रहा बस बन जाऊं मैं
जो जी सके कलयुग में वैसा रंगकर्मी।

©Ashutosh Shukla
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