जब हम स्वयं अपनी भाषा का आदर नहीं करेंगे, तब दूसरों से अपेक्षा क्यों ? वैसे कहने की आवश्यकता नहीं है कि हिंदी भाषा का विश्व में बोलबाला बढ़ता जा रहा है!चीनी भाषा के बाद दूसरे न. पर हिंदी ही है जिसका प्रयोग लोग करते हैं,लेकिन हिंदी हमारे भारत वर्ष की भाषा होने के बावजूद हमारे ही देश में दूसरे न. पर है!?! भारत में अंग्रेजी पढ़ने वाले बहुत हैं पर निश्चित रूप से घर-परिवार में बातचीत का माध्यम हिंदी ही है क्योंकि हमें अपनी भाषा में बात करके, अपनी भावनाएं व्यक्त करके आत्म संतोष मिलता है!अपनापन महसूस होता है लेकिन चूँकि हम भारतीयों में प्रदर्शन और दिखावे की आदत थोड़ी ज्यादा है जो यहाँ भी हावी है!हिंदी की अपेक्षा अंग्रेजी के व्यवहार में हमें अपना स्तर ज्यादा ऊँचा महसूस होता है इसलिए सभी पाश्चात्य तौर-तरीके अपनाने के बाद हिंदी का व्यवहार या हिंदी माध्यम से बच्चों को पढ़ाना एक पैबंद की तरह लगता है शायद #हिंदी को व्यवहार में लाएं....#१४.०९.२० भाग 2 #Hindidiwas