हर बार सबेरा डरता है हर बार निशा ही झरती है हर बार हारता है अंतस हर सांस शिकायत करती है हर बार सबेरा डरता है हर बार निशा ही झरती है हर बार हारता है अंतस हर सांस शिकायत करती है हैं शून्य जहां सारे क्रंदन हर भाव रुप इक प्रतिमा है वह प्रेम निधी निर्मल मन है वह प्रेम नाम की गरिमा है