स्थितप्रज्ञ का सामान्य अर्थ है इस्त्री बुद्धि वाला व्यक्ति जहां अंत करण की शान में आत्मक प्रीति को मन वहीं अंत करण की निश्चय आत्मक वृत्ति को बुद्धि कहा जाता है यद्यपि संघ क्लब क्लब करना मन का धर्म है तथापि मोह ग्रस्त मनुष्य की बुद्धि भ्रमित हो जाती है कर्तव्य कर्तव्य का बोध नहीं रहता ऐसे में बुद्धि की स्थित आवश्यकता हो जाती है जो ज्ञान जलने मुंह को समाप्त कर कर्तव्य का बोध करती है ©Ek villain #Anticorruption स्थितप्रज्ञ होना चाहिए मनुष्य को