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तेरे वजूद को छू ले तो फिर मुकम्मल हो, भटक रही है

तेरे वजूद को छू ले तो फिर मुकम्मल हो, 

भटक रही है ख़ुशी कब से दर-ब-दर मुझ में।
                          
                                     #Zakir wajood..
तेरे वजूद को छू ले तो फिर मुकम्मल हो, 

भटक रही है ख़ुशी कब से दर-ब-दर मुझ में।
                          
                                     #Zakir wajood..
zakirqadri3557

Zakir Qadri

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