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बेखबर... शहर शहर.. गुमती फिरे वो, नगर नगर | देख

बेखबर... 
शहर शहर.. 
गुमती फिरे वो, 
नगर नगर |
देखने चली वो, 
जादुई जहाँ को |
कहती है ठहर ठहर... 
जहाँ बड़ा ठगता है, 
ये लोगों को नहीं, 
अपने आप को रटता है |
बेखबर.. 
बेसबर.. 
जहाँ देखने चली ये तो, 
नगर नगर... 
फिर कहती है ठहर ठहर,
बनना है तो, 
नेक बंदा बनना खुदा का, 
क्योंकी खुदगर्ज तो पूरा जमाना है, 
इधर उधर |
-अज़नबी किताब बेखबर.. बेसबर. .
बेखबर... 
शहर शहर.. 
गुमती फिरे वो, 
नगर नगर |
देखने चली वो, 
जादुई जहाँ को |
कहती है ठहर ठहर... 
जहाँ बड़ा ठगता है, 
ये लोगों को नहीं, 
अपने आप को रटता है |
बेखबर.. 
बेसबर.. 
जहाँ देखने चली ये तो, 
नगर नगर... 
फिर कहती है ठहर ठहर,
बनना है तो, 
नेक बंदा बनना खुदा का, 
क्योंकी खुदगर्ज तो पूरा जमाना है, 
इधर उधर |
-अज़नबी किताब बेखबर.. बेसबर. .

बेखबर.. बेसबर. .