बेखबर... शहर शहर.. गुमती फिरे वो, नगर नगर | देखने चली वो, जादुई जहाँ को | कहती है ठहर ठहर... जहाँ बड़ा ठगता है, ये लोगों को नहीं, अपने आप को रटता है | बेखबर.. बेसबर.. जहाँ देखने चली ये तो, नगर नगर... फिर कहती है ठहर ठहर, बनना है तो, नेक बंदा बनना खुदा का, क्योंकी खुदगर्ज तो पूरा जमाना है, इधर उधर | -अज़नबी किताब बेखबर.. बेसबर. .