सीमाओं से परे सोच को नये पंख लगाओ, शब्द व अक्षरों से एक अद्भुत रचना सजाओ, जो आज तक नही घटा उस घटना का सार बताओ, सोच के इस पार नहीं उस पार जाओ, जो असम्भव हैं उसे संभव करके दिखाओ, सोच रूपी समुंदर से मोती निकाल लाओ कल्पना के रहस्य से रचना का सार रचाओ। सीमाओं से परे कुछ रिश्ते, जो साथ नही पर साथ चलते हैं। वह इंद्रधनुष के रंगों सी, ज़िंदगी के सफ़र में खास लगते हैं।। 👉आइए आज लिखते हैं, कुछ उन रिश्तो की बातें जो आपको दूर रहकर भी अपने करीब लगते हैं.... कृपया कोलाब करके Done✔️ कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :- #collabwithकाव्यपथिक