42. चांद की खिड़की बरगद का तना कठोर व जटिल, पुल के बीच मुलायम साहिल, बंजर सी सांसों में फंसा जाहिल, घर की खिड़की पर ताकता एक तिल, चांद पर वो प्यारा तिल, चांद की खिड़की पर वो असरार तिल. बेशुमार ख्वाहिशें और बेहिसाब चाहते, फूलों की डलिया में एक नागफनी, आतिशबाजी द्वेष और घृणा की, उस मासूम मुस्कान पर दिल कायल, चांद पर वो प्यारा तिल, चांद की खिड़की पर वो असरार तिल. ©Ankit verma utkarsh❤ collection:-ठंडी धूप 42md poetry #ValentinesDay