वो अल्हड़ बारिश सा है मै सूखी धूप सी एक लड़का दिवाना है मै उसकी न कोई, वो अनजान रास्तो का राही है मै गंतव्य मे सिमटी हुई, बाहें फैलाए वो मलंग परिंदा सरमस्ती मे मै अपने क्षितिज को भी चंद मीलों मे बंद करती सी, वो शहज़ादा अपनी किस्मत का है मै ढूढ़ने निकली किस्मत को ही, कैसा बेमैल सा है टकरा गए एक ही सफर मे दोनो ही, लीला होगी यह भी कान्हा की चुकाना होगा पुराना कर्ज़ कोई। #इश्क़ #मेरीक़लमसे #मेरीडायरीकेकुछपन्ने #lovequotes #travel #friendship #yqaestheticthoughts #yqquotes