जीवन रहते हुए यदि अपने चित्त में राम कृष्ण हरि को नहीं बसा पाये तो ये जीवन समझों व्यर्थ ही गवां दिया तूने। शरीर की यात्रा ख़त्म होकर जीव की यात्रा बाक़ी ही रह जायेगा। ©Nityanand Gupta #अमृतवाणी #Light