कैसी ये भूक है चंद टुकडे के लीये आदमी हैवान बन जाता हैं कैसी ये भूक हैं नाजुक कालिको मसलकर जला देता हैं बेगैरत कैसी ये भूक हैं सियासत के लिये अपनो को ही बेच देता हैं मुरवत कैसी ये भूक हैं कुछ औदे के लिये कौमकोही बेच देता हैं,गैरोके पास कैसी ये भूक है अपने कौम के खातीर देस कोही गिरवी रख देता हैं भूक