भारत के उदय सिंधु से सभ्यता शिखर तक जाती है चाहें जिसको मोहित कर ले ,ये ऐसे भारत वासी हैं मन से मन के तार जो जोड़े वो है हिंदुस्तानी ये स्वावलंबी उपकारी है और है स्वाभिमानी यही ताज है यही किला है और यही है काशी हम सब भारत वासी है, हम सब भारत वासी है # भारत #