पापा संग मैं अपनी फोटों, ढूंढ रहा हूँ जहाँ तहाँ, मिलेगी कैसे मुझकों जब, मैं घूमता रहता यहाँ वहाँ, कभी न बैठा पास हूँ जिनके, न ही झाँका दिल में उनके, गैंरों को है दिल से माना, पापा के कब मन को जाना, उनकी डांट लताड़ लगे, औरों का दिखावा ध्यान लगे..... #LoveYouDad अधूरी कविता....... सत्यम घिमिरे टेक्निकल शायर