आज भी करते हैं हम तुझ ही से प्यार कैसे करलें फिर इस बात से इंकार ... रहते हो क्यों तुम खफा खफा से.... तन्हाइयों से करते हैं हम तुम्हारी बात फिजाओं को छूकर हमें है जाना.... दिल तेरे से एक नया पैगाम है आना फिर मुझमें ही तेरा हो जाना बेशुमार आज भी करते हैं हम तुझ ही से प्यार मेरे अल्फाजों में तेरी ही शिरकत... करता है तू सिर्फ मेरी ही इबादत... हो जाता है लम्हों में खुद ही इज़हार आज भी करते हैं हम तुझ ही से प्यार for real love