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स्वमं राह देगी नदी पर्वत भी गूँज कर हिल जाएगा बेड़ि

स्वमं राह देगी नदी पर्वत भी गूँज कर हिल जाएगा
बेड़ियों का घमंड भी पल में पिघल-पिघल जाएगा
एक स्वांस भर का बल अगर प्रबल करदूँ मुझमे मैं
तो आज चाह लूँ मैं जो कुछ वो मुझे  मिल जाएगा

 #muktak
स्वमं राह देगी नदी पर्वत भी गूँज कर हिल जाएगा
बेड़ियों का घमंड भी पल में पिघल-पिघल जाएगा
एक स्वांस भर का बल अगर प्रबल करदूँ मुझमे मैं
तो आज चाह लूँ मैं जो कुछ वो मुझे  मिल जाएगा

 #muktak
shubham6499

Shubham

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