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अनु शीर्षक में पढें ©Shivkumar *_मुंशी प्रेमचंद ज

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©Shivkumar *_मुंशी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता, जिसके एक-एक शब्द को बार-बार पढ़ने को मन करता है-_*

_ख्वाहिश नहीं मुझे_
_मशहूर होने की,"_

        _आप मुझे पहचानते हो_
        _बस इतना ही काफी है।_
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©Shivkumar *_मुंशी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता, जिसके एक-एक शब्द को बार-बार पढ़ने को मन करता है-_*

_ख्वाहिश नहीं मुझे_
_मशहूर होने की,"_

        _आप मुझे पहचानते हो_
        _बस इतना ही काफी है।_
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Shivkumar

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*_मुंशी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता, जिसके एक-एक शब्द को बार-बार पढ़ने को मन करता है-_* _ख्वाहिश नहीं मुझे_ _मशहूर होने की,"_ _आप मुझे पहचानते हो_ _बस इतना ही काफी है।_ #munshipremchand #MunshiPremChandJi #मुन्शीप्रेमचन्द्रजी