Alone ग़ज़ल (हिंदी) --------------- दुश्मन विषाणु विश्व का मधुरस गटक रहा । रोटी गयी गरीब की बुड्ढ़े सटक रहा । क्या आप जानते नहीं बेशर्म मुल्क को , ये चीन के विज्ञान का शीशा चटक रहा । हमने कभी यकीन से जाना नहीं खुदा , पूरा जहान देख लो उल्टा लटक रहा । है मूक प्रार्थना अभी गायब अजान है , उन्माद मजहबी सभी अल्ला झटक रहा । जो आसमान नापता फिरता जरीब से , ऐसे अमीर मुल्क को धरती पटक रहा । ये छाज भाँति काम कोरोना किया बुरा , साबुत अनाज से अलग थोथा फटक रहा । कालीन लाख के बिछे मंदिर दलान में , भूखा फ़क़ीर सामने मस्जिद भटक रहा । साहित्य चाप लूस चाटू कार हो गया , "हलधर" लिखा अदीब की आँखों खटक रहा । हलधर -9897346173 हलधर