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Alone ग़ज़ल (हिंदी) --------------- दुश्मन विषाणु

Alone  ग़ज़ल (हिंदी)
---------------

दुश्मन विषाणु विश्व का मधुरस गटक रहा ।
रोटी  गयी  गरीब  की   बुड्ढ़े  सटक  रहा ।

क्या आप जानते नहीं बेशर्म मुल्क को ,
ये चीन के विज्ञान का शीशा चटक रहा ।

हमने कभी यकीन से जाना नहीं खुदा ,
पूरा जहान देख लो उल्टा लटक रहा ।

है मूक प्रार्थना अभी गायब अजान है ,
उन्माद मजहबी सभी अल्ला झटक रहा ।

जो आसमान नापता फिरता जरीब से ,
ऐसे अमीर मुल्क को धरती पटक रहा ।

ये छाज भाँति काम कोरोना किया बुरा  ,
साबुत अनाज से अलग थोथा फटक रहा ।

कालीन लाख के बिछे मंदिर दलान में ,
भूखा फ़क़ीर सामने मस्जिद भटक रहा ।

साहित्य चाप लूस चाटू कार हो गया ,
"हलधर" लिखा अदीब की आँखों खटक रहा ।

हलधर -9897346173 हलधर
Alone  ग़ज़ल (हिंदी)
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दुश्मन विषाणु विश्व का मधुरस गटक रहा ।
रोटी  गयी  गरीब  की   बुड्ढ़े  सटक  रहा ।

क्या आप जानते नहीं बेशर्म मुल्क को ,
ये चीन के विज्ञान का शीशा चटक रहा ।

हमने कभी यकीन से जाना नहीं खुदा ,
पूरा जहान देख लो उल्टा लटक रहा ।

है मूक प्रार्थना अभी गायब अजान है ,
उन्माद मजहबी सभी अल्ला झटक रहा ।

जो आसमान नापता फिरता जरीब से ,
ऐसे अमीर मुल्क को धरती पटक रहा ।

ये छाज भाँति काम कोरोना किया बुरा  ,
साबुत अनाज से अलग थोथा फटक रहा ।

कालीन लाख के बिछे मंदिर दलान में ,
भूखा फ़क़ीर सामने मस्जिद भटक रहा ।

साहित्य चाप लूस चाटू कार हो गया ,
"हलधर" लिखा अदीब की आँखों खटक रहा ।

हलधर -9897346173 हलधर