"परिचय क्यूँ माँगना जब साथ चल रहा है, मौन है सम्बन्ध पर कह तो सब रहा है, व्याख्या क्या करनी जब शीर्षक सब कह रहा है, सारे शब्दो का भार एक अर्थ सह रहा है" @Pandey .A. Harsh.