एक रात ऐसी थी बिताई मैंने एक झूठी दुनिया थी बनाई मैंने . उस दुनिया का बादशाह बना था अपनी असलियत थी छुपाई मैंने..... वो ख्वाब जो कभी मुकम्मल न हुए थे, फिर उनपर की थी चढ़ाई मैंने .. कुछ ख्वाब फ़तह किए, फ़क़त मूसलसल की थी लड़ाई मैंने .... साकी के पास एक जाम भी न हो, कुछ यूं सल्तनत थी लुटाई मैंने .... Thoughts are penned down ....