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तन से और का हो सकती,पर,मनवा में बस हक़ मेरा आती -जा

तन से और का हो सकती,पर,मनवा में बस हक़ मेरा
आती -जाती सांसों में भी,पाओगी मेरा डेरा
इसलिए मुझको पीर न देते, "अब से और का हो गयी तूँ"
पास जो तेरे नाम है मेरे, बस कहने को है तेरा

©प्रभात शर्मा
  #Roses