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एक आवाज है मुझमें गूंजती हुई मगर मै सुनाई नहीं देत

एक आवाज है मुझमें गूंजती हुई मगर मै सुनाई नहीं देता ,
दरअसल वाक़िफ तो हूं अपनी तकलीफों से मगर गवाही नहीं देता |
अगर मिलना हो कभी मुझसे तो जनाब एक शाम लेकर आना..….....
वो क्या है ना दिन में हंसते मुस्कुराते लिबाज में मै दिखाई नहीं देता ||

" मुसाफ़िर" ....🖋️

©'  मुसाफ़िर ' #Dil #Shayari #Quote
एक आवाज है मुझमें गूंजती हुई मगर मै सुनाई नहीं देता ,
दरअसल वाक़िफ तो हूं अपनी तकलीफों से मगर गवाही नहीं देता |
अगर मिलना हो कभी मुझसे तो जनाब एक शाम लेकर आना..….....
वो क्या है ना दिन में हंसते मुस्कुराते लिबाज में मै दिखाई नहीं देता ||

" मुसाफ़िर" ....🖋️

©'  मुसाफ़िर ' #Dil #Shayari #Quote