भोर का पंछी टूटे हैं सपने, टूटा हूं मैं। अब ना जाने खुद से, कितना रूठा हूं मैं। रोज खुदसे लड़ता जा रहा हूं , अपने सवालों के जवाब ढूंढने में बस फसता जा रहा हूं। हर सुबह मेरी खुद से एक नई जंग होती है , रख पाऊं खुद को खुश पूरा दिन , बस यही एक उमंग होती है ©A J #Panchi